Friday 17 April 2020

दानी कर्ण और चंचल मन।

।।दानी कर्ण और चंचल मन।।
महाभारत में कर्ण की एक कहानी है।एक दिन कर्ण तेल से स्नान कर रहे थे।किसी ने उनसे तेल का सोने का पात्र मांगा और कर्ण ने तुरंत बाएं हाथ से पात्र दे दिया। पात्र लेने वाले ने आपत्ति जताई कि "बाएं हाथ से कुछ सामान देना सही नही है।" यह सुनकर कर्ण ने स्पष्ट किया कि "उनका दायाँ हाथ तेल से छना हुआ है और जब तक वे हाथ धोने जाते,हो सकता है कि उनका चंचल मन कही पलट जाय।"
    कर्ण ने बड़े विनम्र भाव से कहा कि,"हे महाशय,आप मेरा यह स्वर्ण पात्र सहर्ष ग्रहण कीजिए।"
यदि जीवन में दान करना चाहते हो तो कर्ण की तरह कीजिए, क्योकि हममें से ज्यादातर लोगों का मन चंचल होता है जो हमारे अच्छे फैसले को पलट सकता है। 
दान की महिमा अपरंपार है।दान करने से स्वर्ग जैसा सुख और आनंद प्राप्त होता है।
आप सभी वंदनीय बंधुजन-बहनों को मेरा प्रातःकालीन सादर अभिनंदन-वन्दन सा।

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