Friday 16 October 2020

हिन्दू समाज की वे परम्पराए जिन्हें सहेजना जरूरी

हिन्दू समाज की वे परम्पराए जिन्हें सहेजना जरूरी 


एक गोत्र में शादी क्यूँ नहीं..


 वैज्ञानिक कारण..!
     
एक दिन डिस्कवरी पर
  जेनेटिक बीमारियों से
     सम्बन्धित एक ज्ञानवर्धक कार्यक्रम था।

         उस प्रोग्राम में
एक अमेरिकी वैज्ञानिक ने कहा कि
  जेनेटिक बीमारी न हो
  इसका एक ही इलाज है।
  
और वो है
          *"सेपरेशन ऑफ़ जींस"*
          
मतलब अपने नज़दीकी रिश्तेदारों में
  विवाह नहीं करना चाहिए
क्योंकि 
नज़दीकी रिश्तेदारों में
Genes separation (विभाजन) नहीं हो पाता
 और
Genes linked बीमारियाँ जैसे
हिमोफ़ीलिया, कलर ब्लाईंडनेस, और
एल्बोनिज्म होने का
100% चांस होता है ..

फिर बहुत ख़ुशी हुई
जब उसी कार्यक्रम में
ये दिखाया गया कि 
आखिर
   *"हिन्दू धर्म"* में
     हज़ारों-हज़ार साल पहले
    
       जींस और डीएनए के बारे में
       
       कैसे लिखा गया है ?
       
    हिंदुत्व में गोत्र होते हैं
      
और
         एक गोत्र के लोग
आपस में शादी नहीं कर सकते
ताकि जींस सेपरेट (विभाजित) रहे.. 

    उस वैज्ञानिक ने कहा कि
    
आज पूरे विश्व को मानना पड़ेगा कि

            "हिन्दू धर्म ही"
विश्व का एकमात्र ऐसा धर्म है जो
    "विज्ञान पर आधारित" है !
    

*हिंदू परम्पराओं से जुड़े*


  *ये वैज्ञानिक तर्क:*
       
1-
*कान छिदवाने की परम्परा*

     भारत में लगभग सभी धर्मों में
        कान छिदवाने की
            परम्परा है।

*वैज्ञानिक तर्क-*

दर्शनशास्त्री मानते हैं कि
 इससे सोचने की शक्त‍ि बढ़ती है।
जबकि
डॉक्टरों का मानना है कि इससे बोली
अच्छी होती है और
कानों से होकर दिमाग तक जाने वाली नस का
रक्त संचार नियंत्रित रहता है।

2-

*माथे पर कुमकुम/तिलक*


   महिलाएँ एवं पुरुष माथे पर
      कुमकुम या तिलक लगाते हैं ।

*वैज्ञानिक तर्क-*

आँखों के बीच में
माथे तक एक नस जाती है।
कुमकुम या तिलक लगाने से
उस जगह की ऊर्जा बनी रहती है।
माथे पर तिलक लगाते वक्त जब अंगूठे या उँगली से प्रेशर पड़ता है,
तब चेहरे की त्वचा को रक्त सप्लाई करने वाली माँसपेशी सक्रिय हो जाती है।
इससे चेहरे की कोश‍िकाओं तक अच्छी तरह रक्त पहुंचता है।

3- 
*ज़मीन पर बैठकर भोजन करना*

   भारतीय संस्कृति के अनुसार
   ज़मीन पर बैठकर भोजन करना अच्छी बात होती है।

*वैज्ञानिक तर्क-*

पालथी मारकर बैठना
एक प्रकार का योगासन है।
इस पोज़िशन में बैठने से

मस्त‍िष्क शांत रहता है और
भोजन करते वक्त
अगर दिमाग शांत हो तो
 पाचन क्रिया अच्छी रहती है। इस पोज़िशन में बैठते ही
खुद-ब-खुद दिमाग से एक सिगनल
पेट तक जाता है, कि
वह भोजन के लिये तैयार हो जाये।

4-
*हाथ जोड़कर नमस्ते करना*

जब किसी से मिलते हैं तो
 हाथ जोड़कर नमस्ते अथवा नमस्कार करते हैं।

*वैज्ञानिक तर्क-*

जब सभी उँगलियों के शीर्ष
एक दूसरे के संपर्क में आते हैं
और उन पर दबाव पड़ता है।
एक्यूप्रेशर के कारण उसका
सीधा असर
हमारी आँखों, कानों और दिमाग पर होता है,
ताकि सामने वाले व्यक्त‍ि को हम लंबे समय तक याद रख सकें।
दूसरा तर्क यह कि हाथ मिलाने (पश्च‍िमी सभ्यता) के बजाय अगर आप नमस्ते करते हैं
तो सामने वाले के शरीर के कीटाणु आप तक नहीं पहुँच सकते।
अगर सामने वाले को स्वाइन फ्लू भी है तो भी वह वायरस आप तक नहीं पहुँचेगा।

5-
*भोजन की शुरुआत तीखे से और अंत मीठे से*

   जब भी कोई धार्मिक या
     पारिवारिक अनुष्ठान होता है तो
       भोजन की शुरुआत तीखे से और
          अंत मीठे से होता है।

*वैज्ञानिक तर्क-*

तीखा खाने से
हमारे पेट के अंदर
पाचन तत्व एवं अम्ल सक्रिय हो जाते हैं
इससे
पाचन तंत्र ठीक से संचालित होता है
अंत में
मीठा खाने से
अम्ल की तीव्रता कम हो जाती है
इससे पेट में जलन नहीं होती है।

6-
*पीपल की पूजा*

तमाम लोग सोचते हैं कि
पीपल की पूजा करने से
भूत-प्रेत दूर भागते हैं। 

*वैज्ञानिक तर्क-*

इसकी पूजा इसलिये की जाती है,
ताकि
इस पेड़ के प्रति लोगों का सम्मान बढ़े
और
उसे काटें नहीं
पीपल एक मात्र ऐसा पेड़ है, जो
रात में भी ऑक्सीजन प्रवाहित करता है।

7-
*दक्ष‍िण की तरफ सिर करके सोना*

दक्ष‍िण की तरफ कोई पैर करके सोता है
तो लोग कहते हैं कि
बुरे सपने आयेंगे
भूत प्रेत का साया आयेगा, पूर्वजों का स्थान आदि
इसलिये
उत्तर की ओर पैर करके सोएँ। 
*वैज्ञानिक तर्क-*

जब हम
उत्तर की ओर सिर करके सोते हैं,
तब
हमारा शरीर पृथ्वी की चुंबकीय तरंगों की सीध में आ जाता है।
शरीर में मौजूद आयरन यानी लोहा
दिमाग की ओर संचारित होने लगता है
इससे अलज़ाइमर,
पारकिंसन, या दिमाग संबंधी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है,
यही नहीं रक्तचाप भी बढ़ जाता है।

8-
*सूर्य नमस्कार*

हिंदुओं में
सुबह उठकर सूर्य को जल चढ़ाने,
नमस्कार करने की परम्परा है। 
*वैज्ञानिक तर्क-*

पानी के बीच से आने वाली
सूर्य की किरणें जब
आँखों में पहुँचती हैं तब 
हमारी आंखों की रौशनी अच्छी होती है।

9-
*सिर पर चोटी*

हिंदू धर्म में
ऋषि मुनि सिर पर चुटिया रखते थे,
आज भी लोग रखते हैं।
*वैज्ञानिक तर्क-*

जिस जगह पर चुटिया रखी जाती है,
उस जगह पर
दिमाग की सारी नसें आकर मिलती हैं।
इससे दिमाग स्थ‍िर रहता है
और
इंसान को क्रोध नहीं आता एवं
सोचने की क्षमता बढ़ती है।

10-
*व्रत रखना*

कोई भी पूजा-पाठ, त्योहार होता है तो
लोग व्रत रखते हैं।

*वैज्ञानिक तर्क-*

आयुर्वेद के अनुसार
व्रत करने से
पाचन क्रिया अच्छी होती है और
फलाहार लेने से
शरीर का डीटॉक्सीफिकेशन होता है
यानी
 उसमें से खराब तत्व बाहर निकलते हैं।
 शोधकर्ताओं के अनुसार व्रत करने से
कैंसर का खतरा कम होता है।
हृदय संबंधी रोगों,मधुमेह,आदि रोग भी
जल्दी नहीं लगते।

11-
*चरण स्पर्श करना*

हिंदू मान्यता के अनुसार
जब भी आप किसी बड़े से मिलें तो
उसके चरण स्पर्श करें।
यह हम बच्चों को भी सिखाते हैं
ताकि वे बड़ों का आदर करें।
*वैज्ञानिक तर्क-*

मस्त‍िष्क से निकलने वाली ऊर्जा
हाथों और सामने वाले पैरों से होते हुए
एक चक्र पूरा करती है।
इसे
कॉसमिक एनर्जी का प्रवाह कहते हैं।
इसमें दो प्रकार से ऊर्जा का प्रवाह होता है,
या तो
बड़े के पैरों से होते हुए छोटे के हाथों तक
 या फिर
छोटे के हाथों से बड़ों के पैरों तक।

12-
*क्यों लगाया जाता है सिंदूर*

सुहागिन हिंदू महिलाएँ सिंदूर लगाती हैं।
*वैज्ञानिक तर्क-*
सिंदूर में
हल्दी,चूना और मरकरी होता है,
यह मिश्रण
शरीर के रक्तचाप को नियंत्रित करता है।
चूँकि 
इससे यौन उत्तेजनाएँ भी बढ़ती हैं
इसीलिये
विधवा औरतों के लिये
सिंदूर लगाना वर्जित है।
इससे स्ट्रेस कम होता है।

13-
*तुलसी के पेड़ की पूजा*

तुलसी की पूजा करने से घर में समृद्ध‍ि आती है।
सुख शांति बनी रहती है। 
*वैज्ञानिक तर्क-*
 तुलसी इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है।
लिहाजा अगर घर में पेड़ होगा तो
इसकी पत्त‍ियों का इस्तेमाल भी होगा और
उससे बीमारियाँ दूर होती हैं।

हिंदू परम्पराओं से जुड़े ये वैज्ञानिक तर्क सहेज कर रखें

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