शंकर भोले नाथ का, रोज करे अभिषेक।
सिर पर धरते हाथ शिव, देते बुध्दि विवेक ।।
होने को अभिषेक था, हुआ राम वनवास।
रोते हैं नर नारियाँ, सरयू अवध उदास ।।
लंका पति के बाद में,मिला विभीषण ताज ।
किया राम अभिषेक है,दिया लंक का राज ।।
अभिषेक किये श्याम ने, मित्र सुदामा जान ।
वैभव तीनों लोक का, दिये कृष्ण भगवान ।।
भस्म से अभिषेक हो, महाकाल के भाल।
पल में विपदा टालते, हैं कालों के काल ।।
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