Saturday, 3 February 2018

गुरुर्ब्रह्मा

एक शिष्य ने बहुत प्यारी बात कही:---
गुरूजी,
जब आप हमारी *'शँका'* दूर करते हैँ तब आप *"शंकर"* लगते हैँ
- जब *'मोह'* दूर करते हैँ तो *"मोहन"* लगते हैँ
जब *'विष'* दूर करते हैँ तो *"विष्णु"* लगते हैँ
जब *'भ्रम'* दूर करते हैँ तो *"ब्रह्मा"* लगते हैँ
जब *'दुर्गति'* दूर करते हैँ तो *"दुर्गा"* लगते हैँ
जब *'गरूर'* दूर करते हैँ तो
*"गुरूजी"* लगते हैँ
इसीलिए तो कहा है।
*।।गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर:*
*गुरु साक्षात् परब्रम्ह तस्मे श्री गुरुवे नमः।।

          

Sunday, 14 January 2018

औरंगजेब की कब्र

औरंगजेब_की_कब्र

संत सिंह मसकीन साहब सिख पंथ के बड़े विद्वान थे। उनका एक बार औरंगजेब की मजार पर जाना हुआ, उस समय का प्रसंग है।

ज्ञानी संत सिंह मस्कीन जी के मुगल शहंशाह औरंगज़ेब के बारे में उन्हीं की जुबानी ....

कुछ अरसा पहले मुझे औरंगाबाद जाने का मौक़ा मिला । कई बार हजूर साहिब (महाराष्ट्र) जाते समय उधर से ही जाना होता था ।

एक बार प्रबन्धकों ने कहा ज्ञानी जी यहाँ से 7-8 किलोमीटर की दूरी पर खुलदाबाद में औरंगज़ेब की क़ब्र है । अगर आप चाहें तो आप को दिखा लायें । कभी उधर से गुज़रते हुए देखी भी थी फिर देखने की इच्छा हुई चलो देख आते हैं ।

हम वहाँ पहुँचे । वहाँ पर मुईनुद्दीन चिश्ती अजमेर शरीफ़ वाले के पड़पोते के मक़बरे के नज़दीक ही औरंगज़ेब की कच्ची क़ब्र है । निज़ाम हैदराबाद ने चारों ओर जालीनुमा संगमरमर लगवा दिया है ।

मैंने उस क़ब्र को देखा, सामने पत्थर की तख्ती पर कुछ शेर लिखे थे और कुछ थोड़ा बहुत समकालीन इतिहास लिखा था, उसको मैंने नोट किया ।

जैसे ही मैं वहाँ से चलने लगा, वहाँ देखभाल के लिये जो आदमी (मजौर) बैठा था, मुझसे बोला सरदार जी कुछ पैसे दे के जाओ । मैंने पूछा तुम्हारी आजीविका का कोई मसला है ?

उसने कहा नहीं । यहाँ जो भी लोग (जायरीन) आते हैं, आप जैसे लोग आते हैं, हमें कुछ दे के जाते हैं । उन्हीं पैसों से रात को तेल लाकर यहाँ दिया जलता है। इसलिये तेल के लिए कुछ पैसे चाहिये । आप भी हमें तेल के लिये कुछ पैसे दे कर जाओ ।

मैंने जेब से कुछ पैसे निकाले और व्यंग्यात्मक अंदाज़ में कहा : ये लो पैसे, ले आना तेल और जला देना औरंगज़ेब की क़ब्र (मडी) पे दिया । उसके बोल मैंने अपनी डायरी में लिख लिये के कहीं मैं भूल ना जाऊँ । मेरे अन्दर से एक आवाज़ आई : "ऐ औरंगज़ेब, तेरी क़ब्र पर रात को दिया जलाने के लिये तेरी क़ब्र पर बैठा मजौर आने वाले यात्रियों से पैसे माँगता है ...
...परन्तु जिस सतगुरू को तूने दिल्ली की चाँदनी चौक में शहीद किया (करवाया), जिन साहिबजादों को तूने सरहन्द (फतेहगढ साहिब पंजाब) में ज़िन्दा दीवारों में चिनवा दिया...
...जा कर देख वहाँ पैसे के दरिया बहते हैं । भूखों को भोजन मिल रहा है । दिन रात कथा- कीर्तन के परवाह चल रहे हैं । लोग सुन-सुन कर रबी सरूर का आनंद प्राप्त कर रहे हैं ।"

और ये सब देख कर कहना पड़ता है : "कूड़ निखुटे नानका ओड़कि सचि रही" ।।२।। ( गुरू ग्रन्थ साहिब अंग 953 ) अर्थात "सच ने हमेशा क़ायम रहना है । सच की आवाज़ हमेशा गूँजती रहेगी । झूठ की अन्ततः हार होती है।"

       बोलो सतनाम श्री वाहेगुरु

Sunday, 7 January 2018

तुलसी साथी विपत्ति के..

तुलसी साथी विपत्ति के, विद्या विनय विवेक|
साहस सुकृति सुसत्यव्रत, राम भरोसे एक ||

अर्थात: "तुलसीदास जी कहते हैं, किसी विपत्ति के समय आपको ये सात गुण बचायेंगे:
आपका ज्ञान या शिक्षा, आपकी विनम्रता, आपकी बुद्धि, आपके भीतर का साहस, आपके अच्छे कर्म, सच बोलने की आदत और भगवान राम में विश्वास !!"

भगवान शिव से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

भगवान शिव से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
★ भगवान शिव का कोई माता-पिता नही है. उन्हें अनादि माना गया है. मतलब, जो हमेशा से था. जिसके जन्म की कोई तिथि नही.
★ कथक, भरतनाट्यम करते वक्त भगवान शिव की जो मूर्ति रखी जाती है उसे नटराज कहते है.
★ किसी भी देवी-देवता की टूटी हुई मूर्ति की पूजा नही होती. लेकिन शिवलिंग चाहे कितना भी टूट जाए फिर भी पूजा जाता है.
★ शंकर भगवान की एक बहन भी थी अमावरी. जिसे माता पार्वती की जिद्द पर खुद महादेव ने अपनी माया से बनाया था.
★ भगवान शिव और माता पार्वती का 1 ही पुत्र था. जिसका नाम था कार्तिकेय. गणेश भगवान तो मां पार्वती ने अपने उबटन (शरीर पर लगे लेप) से बनाए थे.
★ भगवान शिव ने गणेश जी का सिर इसलिए काटा था क्योकिं गणेश ने शिव को पार्वती से मिलने नही दिया था. उनकी मां पार्वती ने ऐसा करने के लिए बोला था.
★ भोले बाबा ने तांडव करने के बाद सनकादि के लिए चौदह बार डमरू बजाया था. जिससे माहेश्वर सूत्र यानि संस्कृत व्याकरण का आधार प्रकट हुआ था.
★ शंकर भगवान पर कभी भी केतकी का फुल नही चढ़ाया जाता. क्योंकि यह ब्रह्मा जी के झूठ का गवाह बना था.
★ शिवलिंग पर बेलपत्र तो लगभग सभी चढ़ाते है. लेकिन इसके लिए भी एक ख़ास सावधानी बरतनी पड़ती है कि बिना जल के बेलपत्र नही चढ़ाया जा सकता.
★ शंकर भगवान और शिवलिंग पर कभी भी शंख से जल नही चढ़ाया जाता. क्योकिं शिव जी ने शंखचूड़ को अपने त्रिशूल से भस्म कर दिया था. आपको बता दें, शंखचूड़ की हड्डियों से ही शंख बना था.
★ भगवान शिव के गले में जो सांप लिपटा रहता है उसका नाम है वासुकि. यह शेषनाग के बाद नागों का दूसरा राजा था. भगवान शिव ने खुश होकर इसे गले में डालने का वरदान दिया था.
★ चंद्रमा को भगवान शिव की जटाओं में रहने का वरदान मिला हुआ है.
★ नंदी, जो शंकर भगवान का वाहन और उसके सभी गणों में सबसे ऊपर भी है. वह असल में शिलाद ऋषि को वरदान में प्राप्त पुत्र था. जो बाद में कठोर तप के कारण नंदी बना था.
★ गंगा भगवान शिव के सिर से क्यों बहती है ? देवी गंगा को जब धरती पर उतारने की सोची तो एक समस्या आई कि इनके वेग से तो भारी विनाश हो जाएगा. तब शंकर भगवान को मनाया गया कि पहले गंगा को अपनी ज़टाओं में बाँध लें, फिर अलग-अलग दिशाओं से धीरें-धीरें उन्हें धरती पर उतारें.
★ शंकर भगवान का शरीर नीला इसलिए पड़ा क्योंकि उन्होने जहर पी लिया था.
*जय नाथ जी*

Thursday, 4 January 2018

राधा का दर्द .........

राधा का दर्द .........

अब तक का सबसे सुदंर मैसेज .........

ये पढने के बाद एक "आह" और एक "वाह" जरुर निकलेगी...

कृष्ण और राधा स्वर्ग में विचरण करते हुए
अचानक एक दुसरे के सामने आ गए

विचलित से कृष्ण-
प्रसन्नचित सी राधा...

कृष्ण सकपकाए,
राधा मुस्काई

इससे पहले कृष्ण कुछ कहते
राधा बोल उठी-

"कैसे हो द्वारकाधीश ??"

जो राधा उन्हें कान्हा कान्हा कह के बुलाती थी
उसके मुख से द्वारकाधीश का संबोधन कृष्ण को भीतर तक घायल कर गया

फिर भी किसी तरह अपने आप को संभाल लिया

और बोले राधा से ...

"मै तो तुम्हारे लिए आज भी कान्हा हूँ
तुम तो द्वारकाधीश मत कहो!

आओ बैठते है ....
कुछ मै अपनी कहता हूँ
कुछ तुम अपनी कहो

सच कहूँ राधा
जब जब भी तुम्हारी याद आती थी
इन आँखों से आँसुओं की बुँदे निकल आती थी..."

बोली राधा -
"मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ
ना तुम्हारी याद आई ना कोई आंसू बहा
क्यूंकि हम तुम्हे कभी भूले ही कहाँ थे जो तुम याद आते

इन आँखों में सदा तुम रहते थे
कहीं आँसुओं के साथ निकल ना जाओ
इसलिए रोते भी नहीं थे

प्रेम के अलग होने पर तुमने क्या खोया
इसका इक आइना दिखाऊं आपको ?

कुछ कडवे सच , प्रश्न सुन पाओ तो सुनाऊ?

कभी सोचा इस तरक्की में तुम कितने पिछड़ गए
यमुना के मीठे पानी से जिंदगी शुरू की और समुन्द्र के खारे पानी तक पहुच गए ?

एक ऊँगली पर चलने वाले सुदर्शन चक्रपर भरोसा कर लिया
और
दसों उँगलियों पर चलने वाळी
बांसुरी को भूल गए ?

कान्हा जब तुम प्रेम से जुड़े थे तो ....
जो ऊँगली गोवर्धन पर्वत उठाकर लोगों को विनाश से बचाती थी
प्रेम से अलग होने पर वही ऊँगली
क्या क्या रंग दिखाने लगी ?
सुदर्शन चक्र उठाकर विनाश के काम आने लगी

कान्हा और द्वारकाधीश में
क्या फर्क होता है बताऊँ ?

कान्हा होते तो तुम सुदामा के घर जाते
सुदामा तुम्हारे घर नहीं आता

युद्ध में और प्रेम में यही तो फर्क होता है
युद्ध में आप मिटाकर जीतते हैं
और प्रेम में आप मिटकर जीतते हैं

कान्हा प्रेम में डूबा हुआ आदमी
दुखी तो रह सकता है
पर किसी को दुःख नहीं देता

आप तो कई कलाओं के स्वामी हो
स्वप्न दूर द्रष्टा हो
गीता जैसे ग्रन्थ के दाता हो

पर आपने क्या निर्णय किया
अपनी पूरी सेना कौरवों को सौंप दी?
और अपने आपको पांडवों के साथ कर लिया ?

सेना तो आपकी प्रजा थी
राजा तो पालाक होता है
उसका रक्षक होता है

आप जैसा महा ज्ञानी
उस रथ को चला रहा था जिस पर बैठा अर्जुन
आपकी प्रजा को ही मार रहा था
आपनी प्रजा को मरते देख
आपमें करूणा नहीं जगी ?

क्यूंकि आप प्रेम से शून्य हो चुके थे

आज भी धरती पर जाकर देखो

अपनी द्वारकाधीश वाळी छवि को
ढूंढते रह जाओगे
हर घर हर मंदिर में
मेरे साथ ही खड़े नजर आओगे

आज भी मै मानती हूँ

लोग गीता के ज्ञान की बात करते हैं
उनके महत्व की बात करते है

मगर धरती के लोग
युद्ध वाले द्वारकाधीश पर नहीं, i.
प्रेम वाले कान्हा पर भरोसा करते हैं

गीता में मेरा दूर दूर तक नाम भी नहीं है,
पर आज भी लोग उसके समापन पर " राधे राधे" करते है". ....


Thursday, 30 November 2017

विवेकशील बनें

*If the income is not enough then the *expenses should be controlled. If the information is not enough then the words should be controlled.

_“Be Wise.”_

आमदनी पर्याप्त न हो तब ख़र्चों पर नियंत्रण ज़रूरी* है। जानकारी पर्याप्त न हो तब शब्दों पर नियंत्रण रखना* चाहिए॥

“विवेकशील बनें”

Friday, 3 November 2017

प्रेरक कहानी – चार कीमती रत्न

*प्रेरक कहानी – चार कीमती रत्न*

एक वृद्ध संत ने अपनी अंतिम घड़ी नज़दीक देख अपने बच्चों को अपने पास बुलाया और कहा, मैं तुम बच्चों को चार कीमती रत्न दे रहा हूँ, मुझे पूर्ण विश्वास है कि तुम इन्हें सम्भाल कर रखोगे और पूरी ज़िन्दगी इनकी सहायता से अपना जीवन आनंदमय तथा श्रेष्ठ बनाओगे।

1~पहला रत्न है: “माफी”
तुम्हारे लिए कोई कुछ भी कहे, तुम उसकी बात को कभी अपने मन में न बिठाना, और ना ही उसके लिए कभी प्रतिकार की भावना मन में रखना, बल्कि उसे माफ़ कर देना।

2~दूसरा रत्न है: “भूल जाना”
अपने द्वारा दूसरों के प्रति किये गए उपकार को भूल जाना, कभी भी उस किए गए उपकार का प्रतिलाभ मिलने की उम्मीद मन में न रखना।

3~तीसरा रत्न है: “विश्वास”
हमेशा अपनी महेनत और उस परमपिता परमात्मा पर अटूट विश्वास रखना क्योंकि हम कुछ नहीं कर सकते जब तक उस सृष्टि नियंता के विधान में नहीँ लिखा होगा। परमपिता परमात्मा पर रखा गया विश्वास ही तुम्हें जीवन के हर संकट से बचा पाएगा और सफल करेगा।

4~चौथा रत्न है: “वैराग्य”
हमेशा यह याद रखना कि जब हमारा जन्म हुआ है तो निशिचत ही हमें एक दिन मरना ही है। इसलिए किसी के लिए अपने मन में लोभ-मोह न रखना।

मेरे बच्चों जब तक तुम ये चार रत्न अपने पास सम्भालकर रखोगे, तुम खुश और प्रसन्न रहोगे।