एक शिष्य ने बहुत प्यारी बात कही:---
गुरूजी,
जब आप हमारी *'शँका'* दूर करते हैँ तब आप *"शंकर"* लगते हैँ
- जब *'मोह'* दूर करते हैँ तो *"मोहन"* लगते हैँ
जब *'विष'* दूर करते हैँ तो *"विष्णु"* लगते हैँ
जब *'भ्रम'* दूर करते हैँ तो *"ब्रह्मा"* लगते हैँ
जब *'दुर्गति'* दूर करते हैँ तो *"दुर्गा"* लगते हैँ
जब *'गरूर'* दूर करते हैँ तो
*"गुरूजी"* लगते हैँ
इसीलिए तो कहा है।
*।।गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर:*
*गुरु साक्षात् परब्रम्ह तस्मे श्री गुरुवे नमः।।
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