।। शिव--स्तवन।।
नमामि नाथ चन्द्रमौलि शीश गंग राजितं |
त्रिनेत्र भाल शोभितं पिनाक हस्त साजितं ||
ललाम कंठ कालकूट भस्म अंग सोहती |
विराजमान संग गौर कांति चित्त मोहती ||1||
गले अनूप नाग हार मुंड माल राजती |
सुदेह बाघ अम्बरं जटाज शीश साजती ||
निवास शैल शिख्खरे सवार नन्दि आप हो |
दया निधान आप ही हरो हमेश ताप हो ||2||
नमामि कष्ट भंजनं दयालु मोक्ष दायकं |
नमामि भक्त वत्सलं रहो सदा सहायकं ||
नमामि लोक तारणं शरण्य पाद पंकजं |
हरो हरो हरो हरे महा महा महा अघं ||3||
उमा गणेश कार्तिकेय साथ आप राजते |
अपार भाव सेव धार नांदिया सुशोभिते ||
महा महा महा सुखं ददाति विश्व पालकं |
क्षणं क्षणं क्षणं हरे अनेक भक्त पातकं ||4||
अनंत रूप धारितं अरूप नाथ आप हो |
अनाथ नाथ आप ही हमेश दीन साथ हो ||
करो करो करो दया पुकार चित्त धारिये |
महा समंद बीच हैं महेश आप तारिये ||5||
खड़े सुरेश लोकपाल देव जोड़ हाथ हैं |
कराल काल आपके अधीन भूतनाथ है |
महा अगाध और क्रूर घोर लोक जाल है |
उबार आप लीजिए अबोध तुज्ज बाल हैं ||6||
सुनो पुकार ओंमकार नाथ ध्यान दीजिये |
हरे मखारि सोमनाथ कान टेर कीजिए ||
नहीं नहीं नहीं हमें न और कोई आसरा |
उदार आशुतोष ना समान आप दूसरा ||7||
हमें न अर्चना पता न ज्ञान ध्यान ज्ञात है |
करो हमेश पालना अबोध बाल तात हैं ||
नमामि नाथ बार बार संग साँस तार के |
गहो दयालु बाँह को उबारने मझार के ||8||
सहित उमा शिव का सदा, धरिये दिल में ध्यान |
अवडर दानी सम अवर, करत न जग कल्याण ||
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