Tuesday, 13 February 2018

भगवद्गीता यथार्थ गीता

भगवद्गीता यथार्थ गीता-----
-"जाति "भ्रांति एवं निवारण--------
संसार भर की असंख्य जातियां व मजहब लोक प्रदत्त हैं परमात्मा की देन नहीं ----------
लोहा पीटा तो लोहार
सोना पीटा तो सोनार
चमड़ा काटा तो चमार
कपड़ा धोया तो धोबी
कुंभ बनाया तो कुंभकार
ब्यवसाय किया तो बनिया
रक्षा में गया तो क्षत्रिय
पांडित्य में निपुण हुआ तो पंडित
ब्राम्हणत्व अर्जित किया तो ब्राम्हण
अल्पग्यानी हुआ तो क्षुद्र अर्थात शूद्र।                           गोपालन किया तो गोपाल
ये ब्यवसायों या योग्यता के नाम हैं या जातियां।
ये तो धंधों के नाम हैं जो उस समय की जरूरत थी आज यही काम मशीनों द्वारा सब कर रहे हैं।
अर्थात इनका स्तित्व खो चुका है।
🚩आईये देखते हैं भारतीय मनीषा में जाति का क्या स्वरूप है ----
🚩मनुष्य शरीर का उद्देश्य -------
-संसार की असंख्य जातियां,व सम्प्रदाय, परमात्मा की देन नहीं बल्कि उस समय के धंधों ब्यवसायों के नाम हैं। जिनका अब कोई महत्व नहीं रहा।
अयोध्या में सरयू के जिस राजघाट पर भगवान् राम स्नान करते थे वहीं चारो वरण के लोग नहाते थे।
🚩भगवान् राम ने एक भी ब्राम्हण का उद्धार नहीं किया बल्कि सबरी, केवट, रीछ बानरों का उद्धार किया जो उस समय हीन भावना से देखे जाते थे।                                
🚩भगवान् श्रीकृष्ण कहते हैं चतुर्वण्यं मया श्रृष्टम गुण कर्म विभागस:।।
अर्जुन चारो वर्णों की रचना मैने की है।
तो क्या समाज को चार भागों में बांट दिया।
श्री कृष्ण कहते हैं --नहीं गुंणो के आधार पर कर्म विभाजित किया है। न कि जातियां।

🚩कर्म प्रधान विश्व रचि राखा।
कर्म प्रधान है कर्म करके मनुष्य अपना उत्थान कर सकता है।
कर्म आराधना को कहा गया है।
🚩महापुरुष समदृष्टा होते हैं। महापुरुष सब ओर परमात्मा का विस्तार ही देखता है।
सियाराम मैं सब जग जानी।।
करहुं प्रणाम जोरि जुग पानी।।
जो ग्यानी है वह जीवों में भेद नहीं देखता।
रामचरित मानस में भी उल्लेख है इस चीज का।
🚩कामी, क्रोधी, लालची इनसे भक्ति न होय।। भक्ति करे कोई सूरमा जाति वरण कुल खोय।।
🚩ईश्वर: सर्व भूतानाम ह्रदय देशे अर्जुन तिष्ठती।।
गीता में भी उल्लेख है ईश्वर सभी प्राणियों के ह्रदय देश में निवास करता है।

बडे़ भाग मानुष तन पावा।।

🚩हमारे धर्म शास्त्र मनुस्य देंह का बड़ा महत्व बताते हैं।

🚩जाति वरण तो हमने यहां आकर बना लिया।
परमात्मा की निगाह में तो सब बराबर है।

🚩जाति पाति पूंछै न कोई हरि।।
का भजै शो हरि का होई।।

🚩चतुराई चूल्हे पडी घूरे पड़ा अचार।।
तुलसी राम भजे बिनु चारों वर्ण चमार।।

🚩अर्थात जो परमात्मा के किसी नाम राम अथवा ऊँ का जप नहीं करता वही नीच है।
ऐसा शास्त्रों में बताया गया है

🚩जाति न पूंछो साधु की पूंछ लीजियो ग्यान।।
मोल करो तलवार का पड़ी रहेन देव म्यान।।

समाज में गरीब अमीर की दीवार हमेशा रही है,, आगे भी रहेगी,, परंतु हमें समाज के हर ब्यक्ति को पूर्ण धर्मिक अधिकार देना होगा।।।। दोस्तों यह चिंतन 👆👆👆बहुत उपयोगी है ऊपर वाला लेख अवश्य पढें और अपने समाज में आपसी फूट समाप्त करके भाई चारे का माहौल बनाये नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब हम भारत में ही अल्पसंख्यक हो जायेंगे।।। यही परमात्मा का आदेश है।। यह चिंतन देश हित में है।।। जब तक हम समाज के अंतिम ब्यक्ति को धर्म धर्म की समानता नहीं देगे तब तक धर्मांतरण नहीं रुकेगा ।।।।बिदेसी मिसनरियां समाज के कुछ लोगों को बरगलाकर देश के विरुद्ध खड़ा कर रही हैं ।।।।यह कहकर कि तुम्हें जब हिंदू धर्म में कोई धार्मिक समानता नहीं मिल रही है ।तुम्हारे साथ भेदभाव होता है तो तुम हमारे धर्म में शामिल हो जाओ हम तुम्हें पूर्णतः अधिकार देंगे ।।।हमें विधर्मियो के इस सणयंत्र को नाकाम करना होगा ।।।

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