*हँसता हुआ मन*
*और*
*हँसता हुआ चेहरा*
*यही सच्ची संपति है....!!*
*इस पर*
*आयकर विभाग की रेड कभी नहीं पड़ती....!!*
*हँसता हुआ मन*
*और*
*हँसता हुआ चेहरा*
*यही सच्ची संपति है....!!*
*इस पर*
*आयकर विभाग की रेड कभी नहीं पड़ती....!!*
*कोशिश करो की कोई*
*हम से न रूठे !*
*जिन्दगी में अपनों का*
*साथ न छूटे !*
*रिश्ते कोई भी हो उसे*
*ऐसे निभाओ !*
*कि उस रिश्ते की डोर*
*ज़िन्दगी भर न छूटे*
*करम की गठरी लाद के,*
*जग में फिरे इंसान,!!*
*जैसा करे वैसा भरे,*
*विधि का यही विधान,!!*
*करम करे किसमत बने,*
*जीवन का ये मरम,!!*
*प्राणी तेरे भाग्य में,*
*तेरा अपना करम!!*
*करम की गठरी लाद के,*
*जग में फिरे इंसान,!!*
*जैसा करे वैसा भरे,*
*विधि का यही विधान,!!*
*करम करे किसमत बने,*
*जीवन का ये मरम,!!*
*प्राणी तेरे भाग्य में,*
*तेरा अपना करम!!*
*यार से ऐसी यारी रख*
*दुःख में भागीदारी रख,*
*चाहे लोग कहे कुछ भी*
*तू तो जिम्मेदारी रख,*
*वक्त पड़े काम आने का*
*पहले अपनी बारी रख,*
*मुसीबते तो आएगी*
*पूरी अब तैयारी रख,*
*कामयाबी मिले ना मिले*
*जंग हौंसलों की जारी रख,*
*बोझ लगेंगे सब हल्के*
*मन को मत भारी रख,*
*मन जीता तो जग जीता*
*कायम अपनी खुद्दारी रख.*
*सम्बन्ध को जोड़ना*
*एक कला है,*
*लेकिन*
*"सम्बन्ध को निभाना"*
*एक साधना है*
*जिंदगी मे हम कितने सही और कितने गलत है, ये सिर्फ दो ही शक्स जानते है..*
*"ईश्वर "और अपनी "अंतरआत्मा"*
*तेरे गिरने में, तेरी हार नहीं ।*
*तू आदमी है, अवतार नहीं ।।*
*गिर, उठ, चल, दौड, फिर भाग,*
*क्योंकि*
*जीत संक्षिप्त है इसका कोई सार नहीं ।।***
*वक्त तो रेत है*
*फिसलता ही जायेगा*
*जीवन एक कारवां है*
*चलता चला जायेगा*
*मिलेंगे कुछ खास*
*इस रिश्ते के दरमियां*
*थाम लेना उन्हें वरना*
*कोई लौट के न आयेगा*
*सुबह का प्रणाम सिर्फ रिवाज़ ही नही बल्कि आपकी फिक्र का एहसास भी है...*
*रिश्ते जिन्दा रहें और यादें भी बनी रहे...*