Saturday, 7 January 2017

विचारपुष्प

*✍विचारपुष्प✍*

*_✍"प्रशंसा" से "पिंघलना" मत, "आलोचना" से "उबलना" मत, निस्वार्थ भाव से कर्म करिए, क्योंकि इस "धरा" का, इस "धरा" पर, सब "धरा" रह जाऐगा।_*

*_"मनुष्य कितना भी गोरा क्यों ना हो, परंतु उसकी परछाई सदैव काली होती है !_*

*_"मैं सर्वश्रेष्ठ हूँ" यह आत्मविश्वास है, लेकिन "सिर्फ मैं ही सर्वश्रेष्ठ हूँ" यह अहंकार है..। अहंकार से जिनका, मन मैला है ,करोड़ों की भीड़ में भी, वह अकेला है!_*
                       
         

No comments:

Post a Comment